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Tuesday, May 1, 2012

Life

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ, अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है.. शायद अब दुनिया सिमट रही है... . .. जब मैं छोटा था, शायद शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं... मैं हाथ में पतंग की डोर पकड़े, घंटों उड़ा करता था, वो लम्बी "साइकिल रेस",वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना, अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है. शायद वक्त सिमट रहा है.. . . . जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी, दिन भर वो हुजूम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की बातें, वो साथ रोना... अब भी मेरे कई दोस्त हैं,पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी "traffic signal" पे मिलते हैं "Hi" हो जाती है, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं, होली, दीवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS आ जाते हैं, शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं... . जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे, छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट केक, टिप्पी टीपी टाप. अब internet, office, से फुर्सत ही नहीं मिलती.. शायद ज़िन्दगी बदल रही है. . .. जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है... "मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते" . ..ज़िंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है... कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है.. अब बच गए इस पल में.. तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में हम सिर्फ भाग रहे हैं.. कुछ रफ़्तार धीमी करो, मेरे दोस्त, और इस ज़िंदगी को जियो... खूब जियो मेरे दोस्त, और औरों को भी जीने do

दुख है:

दिल की बेखुदी हमे उसी मुकाम पर छोड़ जाती है,
जिन रास्तो की ठोकरों पर हमे चलना नही आता!!
जिंदगी कोई कमी नही छोडती,हमे अजमाने में,
उसकी अजमाइश में नुमाइश बनना हमे नही आता!!

ऐसे जियो-वैसे जियो,ऐसे रहो-वैसे रहो,सब बताते है,
पर में नही समझूंगा,ये इन सब को समझ क्यों नही आता!!
मुझ से आस लगाये बैठे है लोग,कुछ और हु लोग बताते है,
जरा उन्हें जाकर समझाए कोई,हमे उनके हिसाब से जीना नही आता!!

पैसो से तुलता हुआ मुझे भी देखना चाहते है,
पर दौलत के लिए जीना छोड़ देना मुझे नही आता!!
इन्सान हु इन्सान रहने दो मुझे,सब बोलते है,
पर इंसानों को इंसानों के हिसाब से जीने देना इंसानों को नही आता!!

‎!!उम्मीद न रखना!!

रात के अंधेरो में रौशनी को खोजना,
जुगनुओ से उजाले की उम्मीदे रखना,
देखो छोड़ दिया मैंने वो घराना ही,
जहा हर रिश्ता सिर्फ मतलब के लिए रखना!!

लडखडाउंगा,डगमगाउंगा,शायद गिरूंगा भी,
पर किसी और के सहारे,खड़ा रहूँगा उम्मीद न रखना !!
है अभी तो हाथ पैर में जान भी बाकि थोड़ी,
ये भी तुम पर बर्बाद कर दूंगा,ये आस मत रखना!!

साथ तो कंधो का भी,बस शमशान तक ही रहता है,
मेरी बोझ,तुम्हारे कंधे दूंगा,नही फ़िक्र न रखना!!
मेरे साथ,जो हो रहा है,हो जाने दो,
पर तुम्हारे साथ ऐसा नही होगा उम्मीद मत रखना!!

जो बोया वही काट रहा हूँ,पर
आप सब तो समझदार हो, अपने को अपने से दूर न रखना!!