गुलगुले पर्यंक पर हम लेट क्या सुख पाएंगे
भूमि पर कुश की चटाई को बिछा सो जाएंगे।
एक छोटी सी दियरी से जब रोशनी का काम हो
क्या करेंगे लैम्प ले जब एक ही परिणाम हो।
No comments:
Post a Comment