मत कहो कि तुम दुर्बल हो
मत कहो कि तुम निर्बल हो
तुम में अजेय पौरूष है
तुम काल-जयी अभिमानी।
रोकने से रूक सकेंगे
क्या कभी गति-मय चरण।
कब तलक है रोक सकते
सिंधु को शत आवरण।
जो क्षितिज के छोर को है
एक पग में नाप लेता।
क्षुद्र लघु प्राचीर उसको
भला कैसे बांध सकता।
क्या कभी गति-मय चरण।
कब तलक है रोक सकते
सिंधु को शत आवरण।
जो क्षितिज के छोर को है
एक पग में नाप लेता।
क्षुद्र लघु प्राचीर उसको
भला कैसे बांध सकता।
No comments:
Post a Comment